कांग्रेस – भारतीय राजनीति में प्रमुख शक्ति

When exploring कांग्रेस, भारत की सबसे पुरानी और बड़े प्रभाव वाली राजनैतिक पार्टी. Also known as इंडियन नेशनल कांग्रेस, it has shaped the country's democratic journey since independence. यह पार्टी स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभा चुकी है और आज भी संसद में आवाज़ बनाती है। कांग्रेस का मूल लक्ष्य सामाजिक न्याय, आर्थिक विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाना है, जो इसे कई नागरिकों के लिये भरोसेमंद विकल्प बनाता है.

कांग्रेस का कार्यक्षेत्र सिर्फ केंद्र सरकार तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति, देश के व्यापक राजनीतिक परिदृश्य में भी गहरी पकड़ रखता है। राज्य स्तर पर विधायक चुनावों में उसकी उपस्थिति दर्शाती है कि प्रदेशीय मुद्दे भी उसके एजेण्डा का हिस्सा हैं। इसके अलावा, संसद, भारत का विधायी निकाय जिसमें लोक तथा राज्य सभा शामिल हैं में कांग्रेस की सीटें नीति निर्माण में सीधे प्रभाव डालती हैं, चाहे वह वित्तीय सुधार हो या सामाजिक कल्याण योजनाएँ। इन संस्थाओं के बीच के संबंध स्पष्ट हैं: कांग्रेस राष्ट्रीय नीति बनाती है, संसद में उसे पेश करती है, और भारतीय राजनीति उसे लागू करती है.

कांग्रेस का प्रभाव और भविष्य

आज की राजनीति में कांग्रेस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन उसका पुराना अनुभव अभी भी काम आता है। पार्टी अपने गठबंधन रणनीति, युवा नेताओं की सक्रियता और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट रुख से फिर से लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर रही है। जब आप नीचे के लेखों को पढ़ेंगे, तो आप देखेंगे कैसे कांग्रेस का इतिहास, वर्तमान प्रदर्शन और आगामी योजनाएँ एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं—जैसे कि चुनावी रणनीति, नीति निर्माण, और जनता के मतों पर उसका प्रभाव। इस संग्रह में आपको विभिन्न क्षेत्रों की कवरेज मिलेंगी, चाहे वह चुनावी विश्लेषण हो, पार्टी के महत्वपूर्ण निर्णय या राज्य‑स्तर की सफलता की कहानियाँ। अब आगे पढ़िए और समझिए कि कांग्रेस आज के भारत में कैसे कदम रख रही है।

हिंदुस्तान चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को दिया कड़ा पत्र: हरियाणा परिणामों को ‘अप्रतिनिधिक’ कहा

हिंदुस्तान चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को दिया कड़ा पत्र: हरियाणा परिणामों को ‘अप्रतिनिधिक’ कहा

हिंदुस्तान चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मलिकरजून खड़गे को एक कठोर पत्र लिखा, जिसमें हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम को अस्वीकार करने वाले दल की टिप्पणी को ‘अप्रतिनिधिक’ कहा गया। कांग्रेस ने ईवीएम में हेरफेर का आरोप लगाते हुए परिणामों को लागू नहीं करने का फैसला किया, जिससे पहले कभी नहीं देखा गया राजनीतिक कदम सामने आया। आयोग ने इस कदम को लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कहा, जबकि पार्टी के अंदर कुछ नेताओं ने जीत के बाद भी ‘प्रोटेस्ट’ के साथ परिणाम स्वीकार किए। इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले ने भी ईवीएम पुनरगणना के मुद्दे को उजागर किया।

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सम पित्रोदा को फिर से नियुक्त करने पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद की नई लहर

सम पित्रोदा को फिर से नियुक्त करने पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद की नई लहर

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सम पित्रोदा को भारतीय प्रवासी कांग्रेस का अध्यक्ष फिर से नियुक्त किया है, जो बीजेपी के साथ तीव्र प्रतिक्रिया का कारण बना। पित्रोदा के विवादास्पद बयानों के बावजूद कांग्रेस ने इस कदम को सही ठहराया है, जबकि बीजेपी ने इसे 'चुनावी चाल' और 'दोहरे मापदंड' का आरोप लगाया है।

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