सम पित्रोदा को फिर से नियुक्त करने पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद की नई लहर

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने हाल ही में सम पित्रोदा को भारतीय प्रवासी कांग्रेस का अध्यक्ष पुनः नियुक्त किया है। यह निर्णय उनकी पिछले विवादास्पद टिप्पणियों के बावजूद लिया गया है, जिससे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सम पित्रोदा ने 8 मई को अपनी विवादित टिप्पणियों के बाद इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इन टिप्पणियों में उन्होंने भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की तुलना अन्य देशों, जैसे चीन, के लोगों से की थी। उन्होंने अमेरिका में विरासत कर (इनहेरिटेंस टैक्स) के बारे में भी टिप्पणियां की थी। बीजेपी ने इन टिपण्णियों को नस्लभेदी और विभाजनकारी बताया था।

सम पित्रोदा की पुनः नियुक्ति

कांग्रेस नेतृत्व का कहना है कि पित्रोदा ने अपनी टिप्पणियों के संदर्भ को स्पष्ट कर दिया था और आश्वासन दिया था कि वे आगे किसी भी प्रकार की विवादास्पद स्थिति पैदा नहीं करेंगे। कांग्रेस पार्टी द्वारा पित्रोदा की पुनः नियुक्ति को सही ठहराते हुए कहा कि उनके अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और विशेषज्ञता का पार्टी को फायदा होगा।

बीजेपी ने कांग्रेस के इस निर्णय को 'चुनावी चाल' करार दिया। बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस पर 'दोहरे मापदंड' के आरोप लगाए और कहा कि पित्रोदा की पुनः नियुक्ति से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस इस प्रकार के बयानों को महत्व नहीं देती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि कांग्रेस चुनावों के बाद पित्रोदा को वापस लाने की योजना बना रही है।

विरासत कर पर विवाद

विरासत कर पर विवाद

बीजेपी ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि वे जनता के धन का पुनर्वितरण विरासत कर के माध्यम से करना चाहते हैं। पित्रोदा द्वारा अमेरिका में विरासत कर पर की गई टिप्पणियों को आधार बनाते हुए बीजेपी ने दावा किया कि कांग्रेस की यह योजना जनता के हितों के खिलाफ है और यह पार्टी की नीति में अनिश्चितता और असुरक्षा पैदा करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने भाषणों में इस मुद्दे को उठाया और कांग्रेस को आर्थिक नीतियों के मामले में उलझा नजरिया अपनाने का आरोप लगाया।

राजनीतिक तनाव

इस विवाद ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच पहले से चल रहे राजनीतिक तनाव को और गहरा कर दिया है। दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। पित्रोदा की पुनः नियुक्ति से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस अपने संगठन में बदलाव और सुधार के प्रयास जारी रखेगी। हालांकि, बीजेपी इस निर्णय को चुनावी लाभ के लिए उठाया गया कदम मानती है।

भारत की राजनीति में यह विवाद एक नया मोड़ लेकर आया है, जहां राजनीतिक पार्टियां न केवल अपने सिद्धांतों और नीतियों से बल्कि अपने नेताओं के बयानों से भी मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं। ऐसे में, आगे आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और इसका चुनावी गणित पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सम पित्रोदा की विवादास्पद टिप्पणियों और उनकी पुनः नियुक्ति के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच यह राजनीतिक लड़ाई किस स्तर पर पहुंचती है और इसके चुनावी परिणाम पर क्या असर होते हैं।

भारतीय राजनीति का यह दौर कई अप्रत्याशित घटनाओं और विवादों से भरा रहेगा और यही इस लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता भी है।

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