जन्मदर – भारत के जनसांख्यिकीय बदलाओं की कुंजी

जब जन्मदर, एक निर्दिष्ट अवधि में प्रति 1000 जनसंख्या पर जन्में बच्चों की संख्या. इसे कभी‑कभी बाल जनसंख्या दर भी कहा जाता है तो आप तुरंत सोचते हैं कि यह सिर्फ आँकड़े नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य नीतियों का दर्पण है। जन्मदर सीधे जनसंख्या वृद्धि, कुल जनसंख्या में समय के साथ होने वाला बदलाव को प्रभावित करता है, जबकि परिवार नियोजन, सजग जनन शक्ति नियंत्रण के उपाय इसे संतुलित रखने की कोशिश करता है। एक बड़ा संबंध है मातृ स्वास्थ्य, गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं की शारीरिक‑मानसिक भलाई और जन्मदर के बीच – जब मातृ देखभाल बेहतर होती है, तो स्वस्थ जन्म होते हैं और माँ‑बच्चा मृत्यु दर घटती है। इस तरह जन्मदर ⟶ जनसंख्या ⟶ सामाजिक‑आर्थिक परिणाम और परिवार नियोजन ⟶ जन्मदर ⟶ संतुलित विकास जैसी सार्थक त्रिपुटी बनती हैं।

जन्मदर से जुड़ी प्रमुख बातें

भारत में जन्मदर ने पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय बदलाव देखे हैं। 1990 के दशक में लगभग 30 प्रति 1000 था, जबकि 2020‑2022 में यह 17 के करीब गिरा। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं: पहले, शिक्षा स्तर में वृद्धि ने शादी की उम्र बढ़ाई, जिससे प्रजनन अवधि छोटा हुआ। दूसरा, ग्रामीण‑शहरी अंतर घटाने वाली प्रजनन दर, औसत हर महिला के जीवन में होने वाले जन्मों की संख्या में सुधार आया। तीसरा, सरकार की परिवार नियोजन, कंडोम, IUD, sterilization आदि सार्वजनिक उपाय नीति ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया। साथ ही, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के कारण मातृ स्वास्थ्य, स्वस्थ माँ‑बच्चा संबंध की सुरक्षा की गुणवत्ता बढ़ी, जिससे नवजात मृत्यु दर घटा और कुल मिलाकर जन्मदर स्थिर रहने लगा। इन सभी पहलुओं को देख कर स्पष्ट हो जाता है कि जन्मदर ⟶ प्रजनन दर ⟶ जनसंख्या वृद्धि एक आपस में जुड़ा सिस्टम है, जहाँ एक घटक में बदलाव पूरे तंत्र को प्रभावित करता है।

आज आप इस पृष्ठ पर कई लेख पाएँगे जो जन्मदर के अलग‑अलग पहलुओं को विस्तार से समझाते हैं – चाहे वह राज्य‑वार आँकड़े हों, परिवार नियोजन की नवीनतम पहल, या ग्रामीण क्षेत्रों में मातृ स्वास्थ्य सुधार की कहानियाँ। इन लेखों को पढ़कर आप न सिर्फ आंकड़ों को समझ पाएँगे, बल्कि यह भी जान सकेंगे कि नीति‑निर्माता और आम नागरिक कैसे मिलकर संतुलित जनसंख्या वृद्धि की दिशा में काम कर सकते हैं। चलिए, नीचे सूचीबद्ध लेखों में उतरते हैं और इस जटिल लेकिन रोचक विषय की गहराई में झाँकते हैं।

सऊदी अरब की जन्मदर जापान, चीन और दक्षिण कोरिया से आगे, जनसंख्या चुनौतियों के बीच

सऊदी अरब की जन्मदर जापान, चीन और दक्षिण कोरिया से आगे, जनसंख्या चुनौतियों के बीच

सऊदी अरब की जन्मदर जापान, चीन और दक्षिण कोरिया की तुलना में अधिक है, हालांकि यह दर 1950 की 53.34 से 2023 में 15.7 पर आ गई है। महिलाओं की जन्मदर में कमी के बावजूद, 2024 में जनसंख्या 35.3 मिलियन तक पहुंच गई। विशेषज्ञों ने दीर्घकालिक जनसंख्या संकट की चेतावनी दी है, बदलते सामाजिक मूल्यों के कारण विवाह और जन्मदर में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है।

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