जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के मुकाबले सऊदी अरब की जन्मदर काफी ऊंची है, यह एक ऐसी बात है जो देश की जनसंख्या नीतियों पर व्यापक प्रभाव डाल सकती है। हालांकि, यह सच है कि सऊदी अरब ने कुछ दशकों में अपनी जन्मदर में महत्वपूर्ण गिरावट देखी है, लेकिन फिर भी यह दर कई विकसित देशों से कहीं अधिक है। 2023 में, सऊदी अरब की जन्मदर 1,000 लोगों पर 15.7 थी, जबकि 1950 में यह 53.34 थी।
सऊदी अरब के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि इसकी जनसंख्या वृद्धि का 70% हिस्सा प्रवासियों से आता है। देश की महिलाएँ अब पहले की तुलना में कम बच्चे पैदा कर रही हैं। 2011 में जहां प्रति महिला जन्मदर 3.8 थी, अब यह दर घटकर मात्र 2.7 रह गई है। विवाह में देरी और बांझपन जैसी समस्याएँ इसके प्रमुख कारण हैं, साथ ही साथ बदलते सामाजिक मानदंड भी अपना प्रभाव डाल रहे हैं।
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जनसंख्या वृद्धि की दर इसी तरह घटती रही, तो सऊदी अरब एक दीर्घकालिक जनसंख्या संकट का सामना कर सकता है। ये जानकारियाँ यह इशारा करती हैं कि अगर जन्मदर में सुधार नहीं किया गया तो देश को भविष्य में सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ विवाह और जन्मदर को बढ़ाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेपों की मांग कर रहे हैं।
महिलाओं की भूमिका और समाज में उनकी स्थिति में हुए बदलाव भी जनसंख्या पर असर डालते हैं। देश में समाज के पारंपरिक ढाँचे की बदलती संरचना के कारण यह भी संभव है कि परिवार नियोजन और जन्म के निर्णयों में बदलाव देखने को मिलें।
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