ईवीएम – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की पूरी जानकारी

जब आप ईवीएम, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से वोटर की पसंद को रिकॉर्ड करती है. Also known as इलेक्ट्रॉनिक मतदान उपकरण, यह भारत में तेज़, पारदर्शी और भरोसेमंद चुनाव प्रक्रिया को सक्षम बनाता है, तो यही पहला कदम है यह समझने का कि ये तकनीक क्यों जरूरी है। वोटिंग प्रक्रिया, वोटर द्वारा चुनाव में अपनी पसंद दर्ज करने की पूरी जाँच और चुनावी सुरक्षा, वोटिंग डेटा की अखंडता और छेड़छाड़ से बचाव दोनों ही ईवीएम के साथ जुड़ी हुई हैं। ये दो पहलू मिलकर ईवीएम को आज की चुनावी व्यवस्था का मुख्य आधार बनाते हैं।

ईवीएम के मुख्य घटक और उनका काम

ईवीएम तीन मुख्य भागों से बनती है: कंट्रोल यूनिट, डिस्प्ले यूनिट और बैटरी पैक। कंट्रोल यूनिट में सॉफ्टवेयर रहता है जो वोटर की पसंद को सुरक्षित रखता है, डिस्प्ले यूनिट पर वोटर बटन दबाकर अपना वोट दर्ज करता है, और बैटरी पैक पूरे मतदान केंद्र को पावर देता है। इस संरचना के कारण ईवीएम बिजली कटौती या नेटवर्क समस्या से स्वतंत्र रहती है। कई राज्यों ने इस प्रणाली को अपनाकर वोट गिनती का समय बहुत घटा दिया है—कभी कुछ घंटों में ही सभी परिणाम तैयार हो जाते हैं।

वोटिंग प्रक्रिया में सबसे पहला कदम रजिस्टर्ड वोटर का पहचानपत्र दिखाना है। पहचान के बाद, वोटर को अपने पसंदीदा उम्मीदवार के बगल में स्थित बटन दबाना होता है। ईवीएम तुरंत उस जानकारी को एन्क्रिप्टेड फॉर्मेट में सहेज लेती है। यह एन्क्रिप्शन चुनावी सुरक्षा का एक मुख्य हिस्सा है, जिससे डेटा को बाद में बदलना बहुत मुश्किल हो जाता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तकनीक कागज‑आधारित वोटिंग के मुकाबले अब तक की सबसे सुरक्षित विधि है।

ईवीएम को तैयार करने में भारत की कई सार्वजनिक संस्थाएँ भाग लेती हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिज़ाइन करने वाली कंपनियाँ, सुरक्षा एजेंसियाँ, और चयन आयोग। इनके सहयोग से हर मशीन की प्रोसेसिंग पॉवर, डेटा स्टोरेज, और एन्क्रिप्शन एल्गोरिद्म की मानकता सुनिश्चित की जाती है। इस सहयोगी मॉडल ने चुनावी तकनीक, डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके मतदान को सरल बनाना को तेज़ और विश्वसनीय बनायो है।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है वोटर की सुविधा। ईवीएम में बहु‑भाषा समर्थन होता है, इसलिए विभिन्न भाषा‑भाषियों को भी आसानी से वोट करने का मौका मिलता है। कुछ क्षेत्रों में विकलांग मतदाता के लिए ऑडियो निर्देश या बम्पर बॉक्स भी सेट किया गया है, जिससे हर नागरिक बिना बाधा के मतदान कर सके। इस तरह की उपयोगकर्ता‑उन्मुख डिजाइन ने चुनाव में भागीदारी दर को बढ़ाया है।

समय के साथ ईवीएम में नए फीचर जोड़े जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम अब डेटा को चुनाव आयोग के सर्वर से सुरक्षित रूप से भेजता है, जिससे संभावित त्रुटियों की जल्दी पहचान हो सके। साथ ही, ईवीएम में बैक‑अप मेमोरी भी होती है; अगर किसी कारण से मुख्य मेमोरी काम न करे तो बैक‑अप तुरंत सक्रिय हो जाता है। इन सुधारों ने निर्वाचक, वोट देने वाला नागरिक के भरोसे को और मज़बूत किया है।

ईवीएम का उपयोग कर के भारत ने कई बड़े चुनाव व्यवस्थित किए हैं—संबंधित आंकड़ों के अनुसार, 2019 के आम चुनाव में 9 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने ईवीएम के माध्यम से मतदान किया। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि ईवीएम ने भारत के लोकतंत्र में नई गति लाई है। फिर भी, चुनौतियां बनी रहती हैं, जैसे मशीनों की नियमित जांच, बैटरियों का समय‑समय पर रिप्लेसमेंट, और तकनीकी दुरुपयोग को रोकना। इसलिए, चुनाव आयोग निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम और ऑडिट चलाता है, जिससे हर मशीन सही काम करे।

संक्षेप में, ईवीएम सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि पूरी वोटिंग प्रक्रिया, वोटर की पसंद को दर्ज करने से लेकर परिणाम घोषित करने तक का समग्र प्रणाली को डिजिटल रूप देता है। इसके मुख्य लाभ—तेज़ परिणाम, कमी हुई धोखाधड़ी, और बढ़ी हुई भागीदारी—इसे भविष्य के चुनावों का आधार बनाते हैं। अब आप नीचे की सूची में विभिन्न लेख, अपडेट और विशेषज्ञ राय देख सकते हैं, जो ईवीएम के तकनीकी पहलू, सुरक्षा मानक, और उपयोगकर्ता अनुभव पर गहराई से चर्चा करते हैं।

हिंदुस्तान चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को दिया कड़ा पत्र: हरियाणा परिणामों को ‘अप्रतिनिधिक’ कहा

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हिंदुस्तान चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष मलिकरजून खड़गे को एक कठोर पत्र लिखा, जिसमें हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम को अस्वीकार करने वाले दल की टिप्पणी को ‘अप्रतिनिधिक’ कहा गया। कांग्रेस ने ईवीएम में हेरफेर का आरोप लगाते हुए परिणामों को लागू नहीं करने का फैसला किया, जिससे पहले कभी नहीं देखा गया राजनीतिक कदम सामने आया। आयोग ने इस कदम को लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ कहा, जबकि पार्टी के अंदर कुछ नेताओं ने जीत के बाद भी ‘प्रोटेस्ट’ के साथ परिणाम स्वीकार किए। इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले ने भी ईवीएम पुनरगणना के मुद्दे को उजागर किया।

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