CBD DT – टैक्स अपडेट और उपयोगी जानकारी

जब बात CBDT, भारत के आयकर विभाग के प्रमुख नियामक, जो सीधे कर संकलन, नीति निर्धारण और करदाता सेवा को नियंत्रित करता है. इसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ भी कहा जाता है, तो इस पेज पर आप इसे समझने के लिये जरूरी बिंदु पाएँगे।

CBDT का काम सिर्फ नियम बनाना नहीं, बल्कि आयकर अधिनियम, वित्तीय वर्ष के लिए कर निर्धारण की बुनियादी कानूनी रूपरेखा को लागू करना भी है। इस अधिनियम के तहत करदाता (टैक्सपेयर, वह व्यक्ति या संस्था जो आयकर देना बाध्य है) को आय विवरण जमा करना, धनराशि घटाना और समय पर भुगतान करना अनिवार्य है। अतः CBDT सीधे डायरेक्ट टैक्स के प्रबंधन, रिटर्न फाइलिंग और जांच प्रक्रिया को संचालित करता है। यह संबंध इस तरह बनता है: CBDT → आयकर अधिनियम → टैक्सपेयर → टैक्स रिटर्न।

CBDT के प्रमुख कार्य और उनका असर

पहला कार्य है टैक्स पालिसी बनाना। हर साल बजट के बाद नया टैक्स रिटर्न फॉर्म और रिटर्न समय सीमा तय होती है, जिससे करदाता को स्पष्ट दिशा मिलती है। दूसरा, अधिनियम में बदलाव के लिये नवीनतम नोटिफिकेशन जारी करना—जैसे 2025 में छोटे व्यवसायों के लिए आय सीमा में वृद्धि या फाइलिंग में डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग—इन सबको लेकर CBDT ने कई चरणों में सहजता लाई है। तीसरा, जाँच‑पड़ताल और टैक्‍स एवीडेंस को रोकना। यहां तक कि गैर‑कानूनी लेन‑देन पर कठोर कार्रवाई भी CBDT का एक अहम हिस्सा है, जिसका सीधा असर टैक्सपेयर्स की वित्तीय योजना पर पड़ता है।

इन कार्यों के बीच दो महत्वपूर्ण संबंध बनते हैं। पहला, डायरेक्ट टैक्स, आयकर, दीवार रिटर्न और पूँजीगत लाभ पर लगने वाला कर सीधे CBDT के नियामक ढांचे में निहित है, जिससे कानून का अनुपालन आसान होता है। दूसरा, टैक्स रिटर्न फाइलिंग, करदाता द्वारा अपनी आय और कटौतियों की घोषणा की प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ले जाना, जिससे समय बचता है और त्रुटियों की संभावना घटती है। इन दोनों से समझ आता है कि CBDT किस तरह टैक्स नीतियों को सरल और सुलभ बनाता है।

हमारे पास कई लेख और अपडेट्स हैं जो इन बिंदुओं को गहराई से बताते हैं। आप नीचे दी गई सूची में देखेंगे कि कैसे CBDT ने 2025 में नई लिपि निर्धारित की, टैक्स रिटर्न फॉर्म में बदलाव किया और विभिन्न उद्योगों के लिए विशेष छूटें दीं। इन जानकारीयों को पढ़कर आप अपने कर मामलों को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं और संभावित दण्ड से बच सकते हैं। अब आइए उन लेखों की ओर देखें जो विशेष रूप से आपके सवालों का जवाब देंगे।

राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश से टैक्स ऑडिट विस्तार: नई सीमा 31 अक्टूबर 2025

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राजस्थान हाई कोर्ट ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दायर करने की अंतिम तिथि को 30 सितम्बर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। इस फैसले के बाद CBDT ने आधिकारिक रूप से विस्तार की घोषणा की। प्राकृतिक आपदाओं, तकनीकी गड़बड़ियों और पेशेवर संघों की अपील ने इस फैसले को गति दी। अब 4.02 लाख रिपोर्टों में से कई अभी भी अपलोड हो रही हैं। देर से दाखिल करने पर सेक्शन 271B के तहत दंड लग सकता है, लेकिन कारण योग्य माना जाने पर रियायत भी मिल सकती है।

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भारत में नया आयकर विधेयक 2025: पुरानी व्यवस्था में बड़े बदलाव

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भारत सरकार 2025 में नया आयकर विधेयक पेश करने की तैयारी में है, जो 1961 के कानून का स्थान लेगा। यह विधेयक कर वर्ष की अवधारणा को सरल बनाता है और कर छूट सीमा बढ़ाकर ₹12 लाख करता है। CBDT को अधिक स्वायत्तता प्रदान करती है और डिजिटल संपत्तियों के कर उपचार को आधुनिक आर्थिक प्रक्रियाओं के साथ समायोजित करती है।

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