भारत सरकार 2025 में नया आयकर विधेयक प्रस्तुत करने जा रही है, जिससे 1961 के आयकर अधिनियम की जगह एक सरल और अधिक प्रभावी कर ढाँचा लागू होगा। यह विधेयक 622 पृष्ठों का है जिसमें 536 धाराएँ और 16 अनुसूचियाँ शामिल हैं। इसके माध्यम से कर प्रणाली में कई बड़े बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। विधेयक का आधार 'कर वर्ष' की अवधारणा पेश करना है, जो 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगा, जिससे 'पिछला वर्ष' और 'मूल्यांकन वर्ष' की जटिलताओं को समाप्त किया जाएगा।
नए विधेयक में कर छूट सीमा बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी गई है, जो पहले ₹3 लाख थी। यह सुधार आम नागरिकों को राहत प्रदान करेगा। उच्च कर स्लैब्स में टैक्स दरों में कटौती भी देखी जाएगी, जो लोगों के लिए लाभकारी साबित होगी। इस विधेयक में CBDT को अधिक स्वतंत्रता दी गई है ताकि बिना कानूनी अड़चनों के कर योजनाओं को सुचारू रूप से लागू किया जा सके।
आयकर विधेयक 2025 डिजिटल करविधाओं के साथ कदम मिलाने का प्रयास करता है। वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों और स्टॉक विकल्पों पर कर उपचार को वर्तमान आर्थिक गतिशीलता के साथ संरेखित किया गया है, जो कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास को ध्यान में रखते हुए बहुत महत्वपूर्ण है। 6,500 से अधिक हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर, इस विधेयक में अनुपालन को सरल बनाने और विवादों को कम करने पर जोर दिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए विधेयक की भाषा और संरचना सरल है और पुराने 880-पृष्ठीय अधिनियम के अनुपयोगी प्रावधानों को हटाकर जटिलता को कम कर दिया गया है। इसका उद्देश्य कर प्रबंधन में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करना है।
टिप्पणियां भेजें