बजट 2024 - संपूर्ण विश्लेषण और प्रमुख अपडेट

जब हम बात बजट 2024, भारत सरकार की वार्षिक वित्तीय योजना, जिसमें राजस्व, खर्च और विकास लक्ष्य तय होते हैं. इसे कभी-कभी वित्तीय वर्ष 2024‑25 का बजट भी कहते हैं, क्योंकि यह अगले वित्तीय वर्ष की नींव रखता है। इस बजट में राजकोषीय नीति, सरकार की आय‑व्यय संतुलन और ऋण प्रबंधन की दिशा और कर नीति, विभिन्न करों की दर, छूट और संग्रह प्रणाली दो मुख्य स्तम्भ होते हैं। बजट 2024 इन दोनों को जोड़कर आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और निवेश माहौल को आकार देता है।

राजकोषीय नीति का उद्देश्य सिर्फ राजस्व जुटाना नहीं, बल्कि विकास‑उन्मुख खर्चों को प्राथमिकता देना है। उदाहरण के तौर पर, पिछले साल के बजट में बुनियादी ढाँचे की परियोजनाओं पर 30% से अधिक आवंटन हुआ था, जिससे सड़क, रेल और हवाई अड्डों में सुधार हुआ। इसी तरह, कर नीति में आयकर स्लैब की पुनर्गठन, निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स बचत योजना और एसटीसीजी में छूट शामिल की गई। इन कदमों का सीधा असर शेयर बाजार में देखा गया; जैसे ट्रम्प की टैरिफ घोषणा के बाद Sensex में गिरावट आई, वही अपेक्षा बजट की घोशणा के बाद भी बाजार में उतार‑चढ़ाव का कारण बनता है।

मुख्य पहल और उनके प्रभाव

बजट 2024 में कुछ नई पहलें विशेष ध्यान खींचती हैं। पहला, टैक्स ऑडिट की समय सीमा में बढ़ोतरी, जिसे राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में मंजूर किया (31 अक्टूबर 2025 तक). यह विस्तार छोटे‑मध्यम उद्यमों के लिए राहत है, जबकि सरकारी राजस्व की शुद्धता सुनिश्चित करता है। दूसरा, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बुनियादी संरचनाओं में निवेश, जिससे वित्तीय समावेशन तेज़ होगा। तीसरी पहल में स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम के लिए विशेष कर छूट शामिल है, जिससे नवाचार को फंडिंग मिलती है। इन सभी पहलें बजट 2024 के व्यापक लक्ष्य—स्थिर आर्थिक वृद्धि और सामाजिक समावेश—का हिस्सा हैं।

बजट का एक और महत्वपूर्ण आयाम है सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन, जहाँ सरकारी ऋण की सीमा और वैकल्पिक वित्तीय उपकरणों का प्रयोग तय किया जाता है। 2024‑25 के बजट में राजकोषीय घाटा को पूर्ववर्ष के 6.5% से घटाकर 5.8% रखने का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिये डिस्क्रेशनरी खर्च में कटौती, और टैक्टिकल टैक्स रिवेज़न के द्वारा राजस्व बढ़ाने का प्रावधान है। इस नीति का प्रभाव सीधे एचआरएल, एनएलपी आदि बड़े कंपनियों के शेयर मूल्यों में परिलक्षित होता है, जैसा कि भारतीय बैंक के बोर्ड मीटिंग में एसबीआई म्यूचुअल फंड की भागीदारी से शेयरों में उछाल देखने को मिला।

जब बजट की घोषणाएँ होती हैं, तो नागरिकों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर भी असर पड़ता है। सब्सिडी वाले गैस और पानी के बिल में कटौती, स्वास्थ्य बीमा के लिए नई योजना, और ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत पहुँच का विस्तार—all ये बातें बजट 2024 के सामाजिक पहलुओं को उजागर करती हैं। साथ ही, शिक्षा और कौशल विकास के लिए आरक्षित फंडिंग से युवा वर्ग को रोजगार के नए अवसर मिलते हैं, जिससे आर्थिक सक्रियता में वृद्धि होती है।

वित्तीय विशेषज्ञ अक्सर बजट को दो मुख्य घटकों में बांटते हैं: राजस्व पक्ष और व्यय पक्ष। राजस्व पक्ष में आयकर, जीएसटी, कस्टम ड्यूटी आदि प्रमुख होते हैं, जबकि व्यय पक्ष में स्वास्थ्य, शिक्षा, रक्षा, बुनियादी ढाँचा और सामाजिक कल्याण योजनाएं शामिल हैं। बजट 2024 में इन दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने के लिए कई समायोजन किए गए हैं, जैसे ग्रीन टैक्स वेल्यूएशन और नवीनीकरण ऊर्जा पर प्रोत्सााहन। इस संतुलन को समझना निवेशकों और उद्यमियों के लिये बेहद जरूरी है, क्योंकि यह उनके निर्णयों को दिशा देता है।

बजट की घोषणा के बाद अक्सर विदेशी निवेश में भी बदलाव आता है। वैश्विक बाजारों में भारत को एक स्थिर निवेश गंतव्य मानते हुए, कई मल्टीनेशनल कंपनियां नई परियोजनाओं की घोषणा करती हैं। यही कारण है कि पिछले साल के बजट के बाद विदेशी सीधा निवेश (FDI) में 12% की बढ़ोतरी देखी गई थी। बजट 2024 में भी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये विशेष आर्थिक ज़ोन (SEZ) में टैक्स छूट और नियामक रिलीफ की पेशकश की गई है। इससे स्थानीय उद्योगों को भी नई तकनीक और पूंजी तक पहुंच आसान होगी।

राजकोषीय नीति और कर नीति के अलावा, बजट 2024 में कामगार सुरक्षा, पेंशन सुधार और डिजिटल टैक्स जैसे विषय भी शामिल हैं। इन क्षेत्रों में सुधार न केवल सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करते हैं, बल्कि राजस्व का स्थायी स्रोत भी बनाते हैं। उदाहरण के लिये, डिजिटल टैक्स से ऑनलाइन सेवाओं पर 2% टैक्स लागू किया गया है, जिससे डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।

सारांश में, बजट 2024 एक जटिल लेकिन सुव्यवस्थित ढांचा है, जो राजकोषीय नीति, कर नीति, सार्वजनिक निवेश और सामाजिक कल्याण को एक साथ जोड़ता है। इस बजट की प्रमुख विशेषताओं को समझने से आप आर्थिक दृष्टिकोण से बेहतर निर्णय ले सकते हैं—चाहे वह शेयर मार्केट में निवेश हो, नया व्यवसाय शुरू करना हो, या व्यक्तिगत वित्तीय योजना बनाना हो।

अगले भाग में आप देखेंगे कि विभिन्न लेखों में बजट 2024 के कौन‑से पहलुओं को गहराई से कवर किया गया है, जैसे टैक्स ऑडिट विस्तार, बैंकिंग सेक्टर की भविष्यवाणियां, और बाजार पर बजट के प्रभाव। इन पोस्टों में मिलने वाली जानकारी आपका बजट की समझ बढ़ाएगी और आपको वास्तविक दुनिया में लागू करने योग्य अंतर्दृष्टि देगी।

बजट 2024 के बाद सेंसेक्स और निफ्टी 50 में भारी गिरावट: बाजार में 1% से अधिक की गिरावट

बजट 2024 के बाद सेंसेक्स और निफ्टी 50 में भारी गिरावट: बाजार में 1% से अधिक की गिरावट

23 जुलाई, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट 2024 के बाद भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी 50 में प्रत्येक में 1% से अधिक की गिरावट आई। सेंसेक्स 200 अंक गिरा जबकि निफ्टी 50 अंक टूट गया। शुरुआती सकारात्मक रुझान के बावजूद, बजट निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा।

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