अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) – सब कुछ एक ही जगह
जब हम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन, एक बहु‑देशीय प्रयोगशाला जो पृथ्वी की कक्षा में लगातार रहने वाली सबसे बड़ी संरचना है. इसे कभी‑कभी ISS भी कहा जाता है, तो हम इसकी सच्ची महत्ता को समझते हैं। यह स्टेशन नासा, अमेरिका का अंतरिक्ष अन्वेषण एजेंसी और रॉसकोसमोस, रूस का अंतरिक्ष विभाग सहित 15 से अधिक देशों के वैज्ञानिकों का साझा घर है। उसके अलावा, स्पेस मॉड्यूल, मुख्य आवासीय और कार्यात्मक भाग जैसे ज़ेफिर, युनाइटेड कोलंबिया और ज़ूरिच, मिलकर स्टेशन को बनाए रखते हैं। इस कक्षा में रहने से हमें जीव विज्ञान प्रयोग, मानव शरीर पर कम गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव जैसे कई अनोखे डेटा मिलते हैं, जो भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखते हैं। इसलिए ISS सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि विज्ञान, तकनीक और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक जिवंत उदाहरण है।
ISS के मुख्य हिस्से और उनका कार्य
ISS के दो मुख्य भाग हैं: अनुकूलन योग्य मॉड्यूल और शक्तिशाली सॉलर पैनल। मॉड्यूलों में से सबसे बड़े हैं ज़ेफिर (जर्मनी), यूएसएलओ (अमेरिका) और रुसियन सर्विस मॉड्यूल, जो आवास, प्रयोगशालाएँ और नियंत्रण कक्ष प्रदान करते हैं। सॉलर पैनल, जो प्रमुखता से यूएसएस (संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने डिजाइन किए हैं, स्टेशन को लगभग 120 kW ऊर्जा देते हैं, जिससे सभी जीवन समर्थन और वैज्ञानिक उपकरण चालू रह पाते हैं। कक्षा में स्थापित रोबोटिक आर्म, ड्रैगन, स्पेसएक्स का पुनःप्रयोगीय हस्तनिर्मित अंतरिक्ष यान, और प्रोग्रेस सप्लाई शटल, स्टेशन के रखरखाव और उपकरण अपग्रेड को आसान बनाते हैं। ये सभी घटक मिलकर अंतरिक्ष में रहने की सुविधा, निरंतर प्रयोग और भविष्य के अंतरिक्ष बस्ती‑निर्माण के लिए प्रयोगात्मक मंच तैयार करते हैं।
नीचे दिए गए लेखों में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न देशों ने अपने योगदान के माध्यम से ISS को आज की स्थिति तक पहुँचाया, किस तरह के प्रयोग चल रहे हैं और भविष्य में कौन‑सी नई मिशन योजनाएँ हैं। चाहे आप वैज्ञानिक हों, छात्र हों या बस अंतरिक्ष के बारे में जिज्ञासु, इस संग्रह में आपको अंतरराष्ट्रीय सहयोग की रचनात्मकता और तकनीकी चुनौतियों का विस्तृत परिप्रेक्ष्य मिलेगा। अब नीचे स्क्रॉल करके पढ़ें और बेनतीजियों के साथ अपनी ज्ञान यात्रा शुरू करें।