हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है, जो मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को समर्पित है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में, मौलाना आजाद ने शिक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह आज भी प्रेरणादायक है। उनका जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई और हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। मौलाना आजाद का जीवन केवल एक विद्वान, लेखक और दूरदर्शी के रूप में नहीं, बल्कि वह एक योद्धा भी थे जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज को स्वरूप देने का सपना देखा।
मौलाना आजाद ने 1947 से 1958 तक भारत के शिक्षा मंत्री का पद संभाला और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों की स्थापना की। इनमें प्रमुख हैं: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर (IIT Kharagpur), जामिया मिलिया इस्लामिया, साहित्य अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद।
मौलाना आजाद ने प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण गरीबी रेखा के नीचे के क्षेत्रों में शिक्षा और लड़कियों के शिक्षा पर विशेष जोर दिया। उन्होंने न केवल साक्षरता बल्कि व्यावसायिक प्रशिक्षण और माध्यमिक शिक्षा के विविधिकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया। उनके अथक प्रयासों और अमूल्य योगदान के लिए उन्हें 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
भारत सरकार ने सितंबर 2008 में मौलाना आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के सम्मान में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन का मुख्य उद्देश्य शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में प्रस्थापित करना और समाजिक प्रगति में इसकी भूमिका को स्वीकार करना है। यह दिन इस बात की भी याद दिलाता है कि शिक्षा की समावेशिता, गुणवत्ता और पहुंच बेहद आवश्यक है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का आयोजन भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में चर्चाओं, बहसों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से किया जाता है। यह दिन इस बात पर चिंतन करने का अवसर प्रदान करता है कि कैसे साक्षरता हमारे देश के भविष्य को आकार देती है और वह कैसे आजीवन सीखने को बढ़ावा देती है।
हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की अपनी एक खास थीम होती है। पिछले वर्षों में कुछ थीम शिक्षा की गुणवत्ता को सभी के लिए सुलभ बनाने और शिक्षा में नवाचार को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित रहीं। ये थीम शिक्षा के महत्व को दर्शाती हैं और विभिन्न चरणों में इसकी भूमिका को स्पष्ट करती हैं।
असंख्य विद्यार्थी और शिक्षक इस दिन को मनाकर मौलाना आजाद के उस विचार को सलाम करते हैं, जिसमें शिक्षा को एक राष्ट्रनिर्माण का आधार माना गया है। मौलाना आजाद की मेहनत और दूरदर्शिता के कारण शिक्षा का महत्व औरेंद्रियों के मन को जोड़ता है, और यह दर्शाता है कि कैसे शिक्षा का रूप समाज और व्यक्ति के जीवन को असंख्य अवसरों में बदल सकता है।
इस प्रकार राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एक अवसर होता है उन सभी बातें याद करने का जो मौलाना आजाद ने शिक्षा जगत के लिए किया है। उनमें हमें अपने समाज के लिए प्रेरणा और भ्रमण करने की शक्ति मिलती है। अगर मौलाना आजाद हमें सिखा सकते हैं तो वह यह है कि हमारी आर्थिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण साधन है।
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