उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गर्माने वाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के बीच आज होने वाली मुलाकात से राज्य के मंत्रीमंडल में बड़े बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। गठबंधन में उपजे तनाव और हाल के चुनाव परिणामों के बाद यह बदलाव अपरिहार्य माना जा रहा है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपने की संभावना है, जिससे कैबिनेट के संतुलन में बदलाव देखने को मिल सकता है।
राज्य में हाल ही में संपन्न हुई विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की निराशाजनक प्रदर्शन ने यूपी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को चौकस कर दिया है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ मजबूती से जमे हुए हैं, लेकिन कैबिनेट के अन्य सदस्यों को लेकर फेरबदल की उम्मीद की जा रही है।
योगी आदित्यनाथ ने अपने ऊपर उठी आलोचनाओं को 'ज्यादा आत्मविश्वास' के नाम पर टाल दिया, लेकिन अंदरखाते यह साफ है कि पार्टी के भीतर असंतोष की लहरें उभर रही हैं। ऐसे में कुछ मंत्रियों की जिम्मेदारियों को पुनः विभाजित करने और नई ऊर्जा को कैबिनेट में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को आगामी समय में और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ मिल सकती हैं। मौर्य ने हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, जिसके बाद से अटकले और तेज हो गई हैं। मौर्य ने यूपी सरकार के प्रदर्शन को लेकर भी कुछ कटु बातें कही हैं, जिससे साफ है कि वे सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यशैली से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।
भाजपा के हालिया विधायक दल की बैठक में मौर्य ने कहा था, 'संगठन सरकार से बड़ा है।' इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि पार्टी के कार्यकर्ता और नेता सरकार के कार्यप्रणाली से कुछ हद तक असंतुष्ट हैं। मौर्य की यह टिप्पणी राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा-नीत NDA को 36 सीटें और विपक्षी INDIA गठबंधन को 43 सीटें मिलीं। यह परिणाम भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसमें पार्टी की ओर से हो रही रणनीतिक और कैबिनेट स्तर पर अपर्याप्तता का भी जिक्र हुआ है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी स्वीकारी कि उनके कैबिनेट सदस्यों में 'अत्यधिक आत्मविश्वास' ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। इस हार के बाद मुख्यमंत्री ने सलाह दी थी कि संगठन को और अधिक मजबूत बनाने की आवश्यकता है ताकि विपक्षी गठबंधन के अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।
बीजेपी की यूपी इकाई के कार्यकारिणी बैठक में भी आंतरिक मतभेद और रणनीतिक खामियों पर चर्चा हुई। यह बैठक मुख्य रूप से राज्य में आगामी विधान सभा उपचुनावों की रणनीति तय करने के लिए आयोजित की गई थी। बैठक में यह सुझाव दिया गया कि पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
मौर्य ने यह भी संकेत दिया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की भूमिका को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए और उनकी सुनवाई होनी चाहिए। ऐसे में योगी सरकार का यह निर्णय आने वाले समय में भाजपा की राज्य इकाई की स्थिति और संगठनात्मक ढाँचे में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल की बैठक के बाद क्या कदम उठाए जाते हैं। कैबिनेट में संभावित बदलाव, उपमुख्यमंत्री मौर्य की भूमिका और पार्टी संगठन के दृष्टिकोण से कई नई दिशा-निर्देश तय हो सकते हैं।
इस बदलती राजनीतिक स्थिति को लेकर पार्टी के सभी नेताओं की नजरें इस बैठक और आगामी फैसलों पर टिकी हुई हैं। चाहे वह मौर्य का बढ़ता दायित्व हो या कुछ मंत्रियों की बदलती जिम्मेदारियाँ, यह तय है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन बदलावों का व्यापक असर देखने को मिलेगा।
अंत में, उत्तर प्रदेश में भाजपा की आगामी रणनीति और कैबिनेट में संभावित फेरबदल पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में होने वाले निर्णय राज्य की राजनीतिक दिशा और भावी चुनावों पर सीधा असर डाल सकते हैं।
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