शुक्रवार, 26 सितंबर 2025 को भारतीय स्टॉक मार्केट ने एक तेज़ गिरावट देखी। Sensex ने 733.22 पॉइंट (लगभग 0.90 %) की गिरावट दर्ज की और 80,426.46 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 24,654.70 पर समाप्त हुआ। यह घटाव केवल टैरिफ घोषणा तक सीमित नहीं था; इसे कई वैश्विक और घरेलू कारकों के संगम ने और गहरा किया।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100 % टैरिफ लगाने की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य घरेलू फ़ार्मा कंपनियों को लाभ पहुंचाना बताया गया, पर इससे भारत में कई बड़े फ़ार्मा दिग्गजों की यूएस‑बाजार में रहने वाली कमाई को सीधा नुकसान मानते हुए निवेशकों में बेचैनी फैली। टैरिफ का असर न केवल दवाओं के निर्यात पर, बल्कि कंपनियों की साख, निवेश मात्रा और आगे के विकास प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ता है।
ट्रम्प की इस नीति का भारतीय शेयर बाजार पर तुरंत असर देखा गया। Nifty Pharma इंडेक्स 2.14 % नीचे गिरा, जो पिछले दो महीनों में इसकी सबसे तीव्र गिरावट थी। साथ ही, आईटी सेक्टर को भी Accenture की कमजोर गाइडेंस ने कड़क मार दी, जिससे Nifty IT इंडेक्स 2.45 % गिरकर 22 अप्रैल के बाद का नया न्यूनतम स्तर छू गया।
फ़ार्मा कंपनी‑दरों में आज के ट्रेडिंग सत्र में बड़े नुकसान हुए। प्रमुख दवा ब्रांड जैसे Sun Pharma, Dr. Reddy’s, और Cipla की शेयर कीमतें दो अंकों में गिरती दिखाई दीं। निवेशक अब इन कंपनियों की अमेरिकी बिक्री पर टैरिफ के दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर सतर्क हैं, और यह उम्मीद कर रहे हैं कि कंपनियां कीमतें बढ़ाकर या उत्पादन स्थल बदलकर इस चुनौती का सामना कर सकती हैं।
आईटी क्षेत्र में Accenture के अलावा कई मल्टीनेशनल फर्मों ने भी कम इंटर्नल प्रोजेक्ट पाइपलाइन का इशारा किया। इस वजह से महिंद्रा एग्रो, Infosys, और Tata Consultancy Services (TCS) की शेयरों पर मंदी का दबाव रहा। तेज़ी से बढ़ती यूएस‑इन्फ्लेशन और टूलिंग लागत ने भी इस सेक्टर को तनाव में डाल दिया।
बाजार का तनाव केवल मुख्य सेक्टर तक सीमित नहीं रहा। मेटल स्टॉक्स, जैसे Hindalco और JSW Steel, भी कीमतों के गिराव से पीड़ित रहे। रियल एस्टेट सेक्टर थोड़ा हिलते हुए भी थोड़ा सकारात्मक रहा, लेकिन समग्र भावना बुलिंग से दूर थी।
मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स ने दो‑तीन प्रतिशत के करीब गिरावट दर्ज की। BSE MidCap 1.96 % और SmallCap 2.05 % नीचे रहे, जबकि Midcap 100 और Smallcap 100 ने क्रमशः 2.05 % और 2.26 % तक गिरावट दिखायी। यह संकेत करता है कि छोटे‑बड़े दोनों वर्गों में बेचनी व्यापक थी।
व्यक्तिगत शेयरों में M&M, Tata Steel, और IndusInd Bank सबसे अधिक गिरावट वाले रहे, जबकि LT और Tata Motors ने थोड़ा‑बहुत लाभ दिखाया। बाजार में लेंस डालते ही देखा गया कि 459 स्टॉक्स (Nifty 500 में से) लाल बंद हुए, जिससे बैर की पकड़ स्पष्ट हुई।
रुपया भी इस माहौले में मदद नहीं कर पाया। डॉलर के मुकाबले INR 88.70 के करीब खड़ा रहा, जो अब तक के रिकॉर्ड के बहुत नज़दीक है। इस कारण आयात लागत में फ़रक बढ़ा और विदेशी निवेशकों ने निरंतर आउटफ़्लो जारी रखा।
ट्रेडिंग वॉल्यूम में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई। भारत VIX 5 % से अधिक ऊपर जाकर 11 के स्तर पर बंद हुआ, जो बाजार में बढ़ी हुई अस्थिरता और डर को प्रतिबिंबित करता है। तकनीकी विशेषज्ञों ने कहा कि Nifty ने 24,807 के फ़िबोनाची 61.8 % सपोर्ट और 100‑दिन EMA 24,747 को दखल दिया है, जो निरंतर गिरावट का सिग्नल देता है।
सारांश में, इस गिरावट के पीछे कई कारक हैं: विदेशी संस्थागत निवेशकों की निरंतर निकासी, यूएस‑टैरिफ की सख्ती, वीज़ा फीस में वृद्धि, और वैश्विक ट्रेड तनाव। इन सबका मिलाजुला प्रभाव भारत के शेयर मार्केट को निराशा के दायरे में धकेल रहा है, और निवेशकों को अब अधिक सतर्क कदम उठाने की जरूरत है।
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