आर्थिक वर्ष 2024-25

जब हम आर्थिक वर्ष 2024-25, भारत का वित्तीय वर्ष जो 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक चलता है, इस दौरान बजट, कर नीति और बाजार की दिशा तय होती है, FY 2024-25 की बात करते हैं, तो कई जुड़े हुए पहलू सामने आते हैं। इस अवधि में बजट 2024-25, संसदीय बजट जिसमें राजस्व और व्यय के प्रमुख बिंदु तय होते हैं की घोषणा, शेयर बाजार, इक्विटी और डेरिवेटिव्स का ट्रेडिंग मंच जहाँ कंपनियों की कीमतें बदलती हैं की अस्थिरता, बैंकिंग सेक्टर, वित्तीय संस्थाएँ जो ऋण, जमा और डिजिटल भुगतान को संचालित करती हैं में नई नीतियों और GST, वस्तु एवं सेवा कर का राष्ट्रीय टैक्स जो कई वस्तुओं पर दरों को बदलता है में बदलाव सभी का प्रभाव गहरा है।

आर्थिक वर्ष 2024-25 की प्रमुख झलकियों को यहाँ देखिए। बजट दस्तावेज़ ने आय-व्यय में संतुलन बनाने के लिए कई प्रमुख कदम उठाए, जैसे सस्ते अमूल घी की कीमत में कटौती और डिजिटल इंडिया की नई पहलें। इन उपायों से उपभोक्ता खर्च में राहत मिलती है, जबकि कंपनियों को लागत कम करने का मौका मिलता है। ब्याज दरों में संभावित परिवर्तन, RBI की मौद्रिक नीति का समायोजन, और राष्ट्रीय स्तर पर निवेश को बढ़ावा देने के लिए एसेट‑मैनेजमेंट फ़ंडों (एएमएफ) को मिलने वाली सुविधा सभी इस वित्तीय वर्ष के केंद्र में हैं।

बजट की मुख्य बातें और बाजार पर असर

बजट 2024-25 ने कई सेक्टर्स को नई दिशा दी। उदाहरण के तौर पर, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को डिविडेंड प्रावधान में लचीलापन दिया, जिससे शेयरधारकों को आकर्षित करने की संभावनाएँ बढ़ी। उसी समय, LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया जैसे बड़े IPOs को सब्सक्राइब हो गया, जिससे इंडस्ट्री में पूंजी प्रवाह तेज़ हुआ। निवेशकों ने इन संकेतों को पढ़कर संभावित रिटर्न की उम्मीद की और Sensex‑Nifty में हलचल देखी। साथ ही, GST में कुछ वस्तुओं की दरें घटाने से कंपनियों के कॉस्ट स्ट्रक्चर में सुधार आया, जिससे प्रॉफिट मार्जिन बेहतर हुआ। यही कारण है कि कई स्टॉक्स ने 52‑हफ्ते की नई उच्चता छू ली।

बैंकिंग सेक्टर में भी बदलाव हुए। एसबीआई म्यूचुअल फंड की बोर्ड मीटिंग में भागीदारी ने नई फंडिंग मॉडल पेश किए, जिससे म्यूचुअल फंड निवेशकों को बेहतर रिटर्न मिल सके। इसके अलावा, डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म पर नई सुरक्षा फीचर ने ट्रांज़ेक्शन को सुरक्षित बनाया, जिससे यूज़र भरोसा बढ़ा। इन विकासों ने न केवल बड़े वित्तीय संस्थानों को बल्कि छोटे निवेशकों को भी लाभ पहुंचाया, खासकर उन लोगों को जो पहली बार शेयर बाजार में प्रवेश कर रहे हैं।

GST को लेकर सरकार ने कई वस्तुओं की कीमतों में कमी की घोषणा की, जैसे अमूल घी अब केवल 40 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध है। यह कदम सीधे उपभोक्ता के ख़र्च पर असर डालता है और खाने‑पीने की सामग्री की कुल कीमत को घटाता है। परिणामस्वरूप, खुदरा बाजार में हलचल देखी जा रही है और बिक्री में वृद्धि की उम्मीद है। इस आर्थिक वर्ष में, ऐसे प्राइस‑कटस का प्रभाव न केवल दैनिक जीवन में दिखेगा, बल्कि कंपनियों के राजस्व प्रोजेक्शन में भी स्पष्ट परिवर्तन लाएगा।

इन सभी पहलुओं को मिलाकर देखा जाए तो आर्थिक वर्ष 2024-25 एक बदलावों की लहर है। चाहे वह बजट का व्यापक प्रभाव हो, शेयर बाजार में नई ऊँचाइयाँ हों, या बैंकिंग व GST में लाए गए सुधार—सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है। अब आप नीचे दिए गए पोस्टों में इन घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट और विश्लेषण पढ़ सकते हैं, जिससे आपका वित्तीय ज्ञान शार्प हो जाएगा और भविष्य की प्लानिंग आसान होगी।

राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश से टैक्स ऑडिट विस्तार: नई सीमा 31 अक्टूबर 2025

राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश से टैक्स ऑडिट विस्तार: नई सीमा 31 अक्टूबर 2025

राजस्थान हाई कोर्ट ने टैक्स ऑडिट रिपोर्ट दायर करने की अंतिम तिथि को 30 सितम्बर से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी। इस फैसले के बाद CBDT ने आधिकारिक रूप से विस्तार की घोषणा की। प्राकृतिक आपदाओं, तकनीकी गड़बड़ियों और पेशेवर संघों की अपील ने इस फैसले को गति दी। अब 4.02 लाख रिपोर्टों में से कई अभी भी अपलोड हो रही हैं। देर से दाखिल करने पर सेक्शन 271B के तहत दंड लग सकता है, लेकिन कारण योग्य माना जाने पर रियायत भी मिल सकती है।

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