महाराष्ट्र में पिछले 15 दिनों के भीतर ज़ीका वायरस के 8 मामलों ने स्वास्थ्य सेवाओं में हलचल पैदा कर दी है। पुणे से 6, कोल्हापुर और संगमनेर से 1-1 मामला सामने आया है। इसे देखते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलर्ट जारी कर दिया है, जिसमें गर्भवती महिलाओं की जांच पर जोर दिया गया है।
माना जा रहा है कि अधिकतर मामले पुणे से इसलिए सामने आ रहे हैं क्योंकि यहां राष्ट्रीय वायरस संस्थान (NIV) का ज़ीका परीक्षण केंद्र स्थित है। यहां व्यापक निगरानी और निजी अस्पतालों से सीधा सैंपल लिंक होने के कारण संक्रमण की जल्द पहचान हो रही है।
ज़ीका वायरस मुख्य रूप से एडीस मच्छरों द्वारा प्रसारित होता है, जिसमें एडीस एजिप्टी प्रमुख है। यह वायरस विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए चिंताजनक है क्योंकि यह प्लेसेंटा और कॉर्ड के माध्यम से भ्रूण तक पहुंच सकता है, जिससे माइक्रोसेफली जैसी जन्मजात विकृतियाँ हो सकती हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के निदेशक अतीक गोयल ने राज्यों को स्थिति की बारीकी से निगरानी करने और गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच के निर्देश दिए हैं। प्रतिक्रियास्वरूप, पुणे महापालिका द्वारा 20 जून से 4 जुलाई तक 21,441 मरीजों की जांच की गई।
पहले मामले की जानकारी 20 जून को प्राप्त हुई थी और उसके बाद जांच का सिलसिला शुरू हुआ। सैंपल को -20 से -25 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान में सुरक्षित रखा जा रहा है ताकि परीक्षण के लिए 24 घंटे के भीतर भेजा जा सके।
ज़ीका वायरस की तुलना डेंगू और चिकनगुनिया से की जाती है, लेकिन यह एक कमजोर वायरस माना जाता है। इसके लक्षण हल्के होते हैं जिनमें बुखार, चकत्ते, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आँखों में लाली और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। इसका कोई उपाय नहीं है, लेकिन हाइड्रेशन और आराम से 4-5 दिनों में इसके लक्षण कम हो सकते हैं।
संक्रमण के एशियाई और अफ्रीकी संस्करण अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते हैं, परंतु ब्राजीलियाई संस्करण गंभीर हो सकता है। चूंकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस समय कौन सा संस्करण प्रसारित हो रहा है, सभी संभव सावधानियाँ अपनाई जा रही हैं, जिनमें गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड और अन्य परीक्षण शामिल हैं।
मच्छरों के काटने के अलावा, यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध और स्तनपान से भी फैल सकता है। इसलिए, मच्छर मारने की दवाएं, और मच्छरों की प्रजनन स्थलों को खत्म करने जैसे उपाय तत्काल लागू किए जाने चाहिए।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के चयनित वायरस अनुसंधान और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं में ज़ीका की जांच की जा रही है। निजी अस्पताल भी वायरस के प्रसार का आकलन करने के लिए तेजी से परीक्षण सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
केंद्रीय सरकार ने राज्यों को किसी भी नए मामले की सूचना रोग निगरानी कार्यक्रम और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र को सीधे देने का निर्देश दिया है। विभिन्न स्थानों पर एंटोमोलॉजिकल निगरानी लागू की गई है और वेक्टर नियंत्रण प्रयास भी बढ़ा दिए गए हैं।
भारत में सबसे पहला ज़ीका मामला 2016 में गुजरात में दर्ज किया गया था, इसके बाद विभिन्न राज्यों जैसे महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल और कर्नाटक में मामले सामने आए हैं।
इस प्रकोप ने स्वास्थ्य सेवाओं को और सतर्क कर दिया है और मानवीय प्रयासों की एक मजबूत मिसाल पेश की है।
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