आमतौर पर हमें सोशल मीडिया, टीवी चैनल्स या वेबसाइट्स पर लगातार नई-नई खबरें देखने को मिलती रहती हैं. लेकिन सोचिए, एक दिन सुबह आप अखबार उठाते हैं और वहां एक भी खबर नहीं है. या फिर किसी वेबसाइट पर 'No Data' लिखा दिखाई देता है. ये भी अपने आप में एक बड़ी जानकारी है, जिससे समाज या सूचना तंत्र की स्थिति का पता चलता है.
जानकारी का मतलब सिर्फ नई बातें सुनना नहीं है, बल्कि पुराने या रुक गई खबरों पर भी ध्यान देना जरूरी है. कई बार कोई महत्वपूर्ण सूचना न आना बड़ी हलचल का संकेत होता है—जैसे सेंसरशिप, डेटा तकनीकी गड़बड़ी या कोई और बड़ी वजह.
हम रोजमर्रा के फैसले अपने आसपास की जानकारी के आधार पर ही लेते हैं. खबरें ना मिलना हमारी तयशुदा आदतों को हिला सकता है. भारत जैसे देश में, जहां हर किसी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट पहुंच चुका है, सूचना का बहाव अचानक ठप हो जाना चिंता का कारण बन सकता है. कई लोग अपने काम, सुरक्षा या घर-परिवार से जुड़े फैसलों के लिए खबरों पर निर्भर रहते हैं.
ऐसी स्थिति में 'नो न्यूज इज गुड न्यूज' कहना बेकार लगता है. चाहे राजनीती हो, व्यापार हो या मौसम, सभी मामलों में लोगों को ताजा अपडेट्स चाहिए होते हैं. इसलिए कोई खबर नहीं आना भी अपने-आप में चौकाने वाला अनुभव हो सकता है.
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