सेंट लूसिया की धाविका जूलियन अल्फ्रेड ने पेरिस ओलंपिक में महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस दौड़ में उन्होंने प्री-रेस फेवरेट शा'कैरी रिचर्डसन को मात दी। इस जीत के साथ ही उन्होंने अपने देश को पहला ओलंपिक पदक दिलाया। अल्फ्रेड की इस जीत का समय 10.72 सेकंड रहा, जिससे वे दुनिया की आठवीं सबसे तेज महिला भी बन गईं।
अल्फ्रेड का सफर तब शुरू हुआ जब वे छह या सात साल की उम्र में कैस्ट्रिज, सेंट लूसिया के लिऑन कॉम्प्रिहेंसिव स्कूल में पढ़ रही थीं। वहाँ की एक लाइब्रेरियन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना जब उन्होंने अपने पुरुष सहपाठियों को दौड़ में पछाड़ दिया। उनकी इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने 12 साल की उम्र में अपने पिता के निधन के बाद एथलेटिक्स छोड़ दिया। लेकिन उनके परिवार और दोस्तों के प्रोत्साहन से उन्होंने फिर से इस खेल में कदम रखा और खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया।
पेरिस ओलंपिक में अल्फ्रेड ने न सिर्फ जीत हासिल की, बल्कि अपने देश के लोगों के लिए गर्व का क्षण भी बना। रिचर्डसन ने 10.87 सेकंड के समय के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि अमेरिकी धाविका मेलिसा जैफरसन ने 10.92 सेकंड के समय के साथ कांस्य पदक जीता। ब्रिटेन की डारिल नीटा ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए 10.96 सेकंड के समय के साथ चौथा स्थान प्राप्त किया।
अल्फ्रेड का यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी संयम, मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। वह अपने आप को लेकर बेहद जागरूक और आत्मविश्वासी हैं, लेकिन साथ ही सरल और सहज भी हैं। उन्होंने अपने पिता की स्मृति में इस जीत को समर्पित किया।
यह जीत केवल अल्फ्रेड के लिए ही नहीं, बल्कि सेंट लूसिया के लिए भी गर्व का कारण है। उन्होंने एक बार फिर से साबित किया कि दृढ़ निश्चय, मेहनत और समर्थन से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनका यह कॉम्पिटिशन के मैदान में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन उनके देश को प्रेरित करता रहेगा।
अल्फ्रेड की इस जीत ने एथेलेटिक्स की दुनिया में नई उम्मीदें और प्रेरणाएं जगाई हैं। उसे NCAA में भी कुछ उल्लेखनीय खिताब मिले हैं, जिसने उसकी क्षमता को और अधिक साक्ष्य दिए। अपनी इस जीत के बाद जूलियन अल्फ्रेड ने अपनी योजनाओं के बारे में खुलासा करते हुए कहा कि वह अब भी अपने कौशल को और निखारने का प्रयास करेंगी और आगे बढ़ेंगी।
सेंट लूसिया की इस अविश्वसनीय जीत ने केवल अल्फ्रेड के जीवन को ही नहीं, बल्कि उनके पूरे देश की उम्मीदों को पंख दिए हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि मेहनत और समर्पण से किसी भी ऊँचाई को छूना संभव है।
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