तुर्की की व्यस्त राजधानी इस्तांबुल में 23 अप्रैल की दोपहर अचानक धरती पूरी ताकत से हिलने लगी। दोपहर 12:49 बजे इस्तांबुल भूकंप ने शहर और उसके आसपास के इलाकों में जबर्दस्त दहशत फैला दी। मारमारा सागर के नीचे 21 किलोमीटर दक्षिण-पूर्वी मारमारा एरेग्लीसी के पास इसका केंद्र रहा। कुल मिलाकर 6.2 तीव्रता का यह झटका पिछले दो सालों का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जा रहा है। लोग भागते-भागते सड़कों पर नजर आए, बिल्डिंग्स खाली कर दी गईं और सोशल मीडिया पर सैंकड़ों लाइव वीडियो मिनटों में वायरल हो गए।
भूकंप के झटके इतने जोरदार थे कि इस्तांबुल, यालोवा, कोकाली, टेकिरदग, सकर्या और बर्सा जैसे बड़े शहरों में लोगों ने अपने घर छोड़ दिए। यहां तक कि लगभग 550 किलोमीटर दूर तक झटके महसूस किए गए। घटना के कुछ ही वक्त बाद कई लोगों में पुराने जख्म ताजा हो गए—2023 के विनाशकारी भूकंप, जिसने तुर्की और सीरिया में करीब 60,000 लोग छीन लिए थे, का डर अब फिर हवा में तैर गया।
शुरुआती रिपोर्ट्स में 151 लोगों के घायल होने की खबर आई थी, लेकिन जैसे-जैसे हालात साफ होते गए, यह आंकड़ा बढ़कर 359 तक जा पहुंचा। इनमें ज्यादातर लोग इमारतों से कूदते वक्त या भगदड़ में घायल हुए; डर के मारे कई बुजुर्ग और बच्चे सीढ़ियों से गिर गए। स्थानीय अस्पतालों में भीड़ लग गई, लेकिन राहत की बात यह रही कि मौत का कोई मामला सामने नहीं आया।
मुख्य भूकंप के बाद कम से कम 50 आफ्टरशॉक्स रिकॉर्ड किए गए, जिनमें से तीन की तीव्रता 5 या उससे ऊपर रही। रात होते-होते लोग अपने घरों के बाहर ही डटे रहे, किसी ने पार्क में तो किसी ने खुले मैदान में रात बिताई।
शहर की प्रमुख इमारतों को हल्का-फुल्का नुकसान पहुंचा, कुछ पुराने मकानों में दरारें आईं और सड़कों पर भी कुछ जगह प्लास्टर और ईंटें गिर गईं। इस्तांबुल के अलावा यालोवा, बर्सा, कोकाली और टेकिरदग में भी नुकसान की खबरें आईं। भूकंप के मुख्य केंद्र के पास मारमारा सागर में हल्का सा 6 सेंटीमीटर ऊंचा सूनामी वेव भी रिकॉर्ड किया गया, लेकिन कोई बड़ा असर नहीं दिखा।
North Anatolian Fault लाइन पर फिर हलचल से एक्सपर्ट्स चौकन्ने हो गए हैं। यही इलाका तुर्की के सबसे ज्यादा भूकंपीय क्षेत्रों में शामिल है। वैज्ञानिकों और प्रशासन को डर है कि इस्तांबुल जैसे घनी आबादी वाले शहर के लिए यह खतरा कभी भी बड़ा संकट बन सकता है। खासकर जब देश के कई हिस्से पहले ही 2023 के भूकंप की तबाही से उबरने की कोशिश में हैं।
तुर्की में भूकंप का डर आज भी लोगों के जेहन से गायब नहीं हुआ है। जितना वक्त लोगों के लिए आगे बढ़ने का है, उतनी ही जल्दी किसी झटके के साथ पुरानी यादें फिर सामने आ खड़ी होती हैं।
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