20 जुलाई, 2024 को यमन के हूदी-प्रबंधित बंदरगाह पर इस्राइली हमले के बाद एक विशाल आग भड़क उठी। इस घटना में छह लोगों की मृत्यु हो गई और 80 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें से कई के शरीर पर गंभीर जलने के घाव हैं।
यह हमला हूदी ड्रोन हमले के जवाब में किया गया, जिसने तेल अवीव में एक व्यक्ति की जान ली थी। हमले के बाद बंदरगाह पर फैली आग को बुझाने के लिए दमकल कर्मियों को अथक प्रयास करने पड़े, लेकिन आग ने ईंधन भंडारण सुविधाओं और एक पावर प्लांट को चपेट में ले लिया। यह बंदरगाह यमन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ईंधन और मानवीय सहायता के लिए एक मुख्य प्रवेश बिंदु है और यह दशक लंबे युद्ध के दौरान काफी हद तक अछूता रहा है।
इस हमले ने यमन में ईंधन की कमी के बढ़ने के डर को और बढ़ा दिया है। यमन के लिए यह स्थिति बहुत ही गंभीर है क्योंकि वहां के लोग पहले से ही युद्ध की विभीषिका से जूझ रहे हैं और अब इस नए संकट का सामना करने के लिए वे तैयार नहीं हैं।
हूदी सैन्य प्रवक्ता, यहिया सरी, ने इस्राइली आक्रमण के खिलाफ एक बड़े जवाबी हमले की प्रतिज्ञा की है। वहीं दूसरी ओर, इस्राइली सैन्य ने यमन से ईलात की ओर दागे गए एक मिसाइल को इंटरसेप्ट किया लेकिन यह बताया कि मिसाइल इस्राइली इलाके में घुसपैठ करने में नाकाम रहा।
यमन की अंतर्राष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त सरकार ने इस्राइली हमले की निंदा की और इस्राइल को मानवीय संकट को और गहरा बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। सरकार ने हूदी मिलिशिया को चेतावनी दी कि वे संघर्ष को और तेज न करें क्योंकि यह बाहरी हितों को ही पूरा करेगा।
इस्राइली हमला और उसके परिणामस्वरूप हुई आग ने यमन की परिस्थिति को और जटिल बना दिया है। यमन के लोगों को अब और भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि इस हमले ने ईंधन और मानवीय सहायता के मुख्य स्रोत को प्रभावित किया है।
इस घटना का प्रभाव न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी देखा जा रहा है। यमन में जारी संकट को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और देशों ने चिंता जाहिर की है। वे यमन के लोगों की सहायता के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
यमन के हूदी समूह ने इस्राइल के खिलाफ खुलेआम हमले की घोषणा की है, जिससे स्थिति और खराब होने की आशंका है। यह हमला अन्य देशों को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है क्योंकि यह क्षेत्रीय संघर्ष को बढ़ावा दे सकता है।
यमन के लिए यह समय अत्यंत कठिन है। देश पहले से ही युद्ध और मानवीय संकट से जूझ रहा है और इस नए हमले ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। अब यह देखना होगा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति में यमन की कितनी मदद कर पाता है और यमन की सरकार और हूदी मिलिशिया इसे कैसे संभालते हैं।
टिप्पणियां भेजें