देश की राजधानी दिल्ली इन दिनों प्रदूषण के गंभीर संकट से जूझ रही है। विशेष रूप से 13 नवंबर, 2024 को, दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने 429 तक पहुँच कर गंभीरता का नया स्तर छू लिया। एअर क्वालिटी के इस स्तर का अर्थ है कि दिल्ली के वासियों के लिए यह स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। प्रदूषण के इस उच्च स्तर के प्रमुख कारणों में वाहन उत्सर्जन और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना शामिल है।
दिल्ली में ऐसे 36 मॉनिटरिंग स्टेशन हैं और इन में से 30 ने वायु गुणवत्ता को 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया है। यह स्थिति पिछले 14 दिनों से 'बहुत खराब' श्रेणी में जारी थी जब तक यह अत्यधिक गंभीर स्तर पर नहीं पहुंचा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, शहर के प्रदूषण में वाहन उत्सर्जन का सबसे बड़ा योगदान होता है, जो कुल प्रदूषण का 15.4 प्रतिशत है।
दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की समस्या का भी महत्वपूर्ण योगदान है। हर साल फसल की कटाई के बाद किसान खेतों में अवशेषों को जलाते हैं, जिससे दुर्गंधयुक्त धुआं उत्पन्न होता है जो हवा में घुल जाता है। यह धुआं दिल्ली तक पहुंच कर वायु गुणवत्ता को और अधिक बिगाड़ देता है। पराली जलाने की इस पद्धति पर नियंत्रण पाने के लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकिन अभी तक कोई स्थाई समाधान नहीं मिल पाया है।
प्रदूषण की स्थिति को बिगाड़ने में मौसम संबंधी कारकों की अहम भूमिका होती है। धीमी गति से चलने वाली हवाएं और तापमान में गिरावट ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करती हैं जो प्रदूषण के फैलाव को रोकती हैं। वायु गुणवत्ता चेतावनी प्रणाली के अनुसार, मौसम की यह प्रतिकूल स्थिति आने वाले दिनों में भी बनी रहने की संभावना है, जिससे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर बना रह सकता है।
गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्ता ने दिल्लीवासियों के लिए स्वास्थ्य के संकट को बढ़ा दिया है। सांस लेने में कठिनाई, फेफड़ों के रोग, ह्रदय सम्बंधी समस्याएं और कई विविध प्रकार की बीमारियाँ प्रदूषण के कारण उत्पन्न हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित बच्चों और वृद्धों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
AQI को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: 0-50 को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'बहुत खराब', 401-450 को 'गंभीर', और 450 से अधिक को 'अत्यंत गंभीर' कह सकते हैं। इस समय AQI का 429 पर पहुंच जाना दिल्ली में हवा के खतरनाक स्तर को बयाँ करता है।
ऐसे में आवश्यक है कि सरकार और नागरिक मिलकर इस संकट का स्थायी समाधान निकालें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को साफ हवा में सांस ले सकने का हक मिल सके।
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