दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट ने समान-लिंगी जोड़े के पक्ष में दिया ऐतिहासिक फैसला राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा में

दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट ने समान-लिंगी जोड़े के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया

दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई, 2024 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में समान-लिंगी जोड़े के साथी को आश्रित के रूप में मान्यता देते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह मामला एक ऐसे वादी से जुड़ा था, जिसका साथी 2016 में एक नियोजित सब्सक्राइबर बन गया और आश्रित स्थिति के लिए एक अधिसूचना प्रस्तुत की। प्रारंभ में यह अधिसूचना स्वीकार कर ली गई थी, लेकिन बाद में इसे रद्द कर दिया गया था।

इस विवाद का केंद्र इस बात पर था कि, क्या समान-लिंगी जोड़ों को भी स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में वैसी ही सुविधाएँ मिलनी चाहिए जैसी कि विपरीत-लिंगी जोड़ों को मिलती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि उत्तरजीवी पति/पत्नी के रूप में व्यक्ति की मान्यता करना और समान-लिंगी जोड़ों को इनकार करना अन्यायपूर्ण भेदभाव है। यह संविधान के समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो अन्वेषणीय कारणों के बिना भेदभाव को रोकता है।

संवैधानिक अधिकारों की जीत

इस निर्णय ने संविधान के समानता के सिद्धांत को महत्वपूर्ण रूप से मजबूती दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी स्थिति में, समान-लिंगी जोड़ों को सरकार की नीति में बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। यह निर्णय न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समग्र रूप से दक्षिण कोरिया के LGBTQI+ समुदाय के लिए भी एक बड़ी जीत है।

इस फैसले के एक प्रमुख संदर्भ में, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने चाहिए। यह समानता का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, चाहे वह किसी भी यौन रुझान का हो या किसी भी लिंग का हो।

समाज में बदलाव की दिशा

समाज में बदलाव की दिशा

इस फैसले से दक्षिण कोरियाई समाज में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना है। यह उन धारणाओं को चुनौती देता है जो अभी तक केवल विपरीत-लिंगी जोड़ों को ही सामाजिक और कानूनी रूप से मान्यता देती थीं। इस निर्णय ने उन लोगों को उम्मीद दी है जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।

इस फैसले के बाद, कई LGBTQI+ समूहों ने इसे एक जीत के रूप में मनाया है। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से यह साबित हो गया कि समानता और न्याय के लिए उनकी लड़ाई सही दिशा में है।

अलग-अलग सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी इस फैसले पर आ रही हैं। कुछ समूह इसे समाज में नैतिकता और पारंपरिक मूल्यों के खिलाफ मान रहे हैं, वहीं अधिकतर लोग इसे न्याय और समानता की जीत बता रहे हैं।

आगे की राह

इस फैसले के प्रभाव बहुत ही व्यापक हो सकते हैं। इससे न केवल स्वास्थ्य बीमा प्रणाली में सुधार होंगे, बल्कि यह निर्णय कई अन्य कानूनी और सामाजिक क्षेत्रों में भी बड़ा असर डाल सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस फैसले को कैसे लागू करती है और समाज में इसे कैसे स्वीकार किया जाता है।

अभी तक जो समानता और अधिकार केंद्रित नीतियाँ केवल कागजी रूप में थीं, उन्हें अब क्रियान्वित करना होगा। सरकार और समाज को मिलकर समानता और न्याय के इस सिद्धांत को वास्तविकता में बदलने के लिए काम करना होगा।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, दक्षिण कोरिया के सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है। इसने समान-लिंगी जोड़ों को उनके अधिकार और सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक दृष्टि से भी एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है।

अब यह समय है कि समाज इस बदलाव को अपनाए और LGBTQI+ समुदाय को वह सम्मान और समानता दे, जिसका वे हकदार हैं।

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