ब्राज़ील में हाल ही में पारित हुए कृषि-विष विधेयक ने पर्यावरणविदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच गहरी चिंताओं को जन्म दिया है। 'विष विधेयक' की संज्ञा प्राप्त यह कानून, ब्राज़ील के संसद में मौजूद कृषि व्यवसाय समूह का एक प्रमुख परियोजना था। विधेयक के तहत कृषि रसायनों की बिक्री और उपयोग पर लगे प्रतिबंधों को कम कर दिया गया है, जिसमें यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित बहुत से रसायन शामिल हैं।
यह विधेयक कृषि, पशुपालन और खाद्य आपूर्ति मंत्रालय को कृषि रसायन अनुमोदनों के लिए एकमात्र ज़िम्मेदार संस्था बनाता है, जिससे स्वास्थ्य और पर्यावरण एजेंसियों की भूमिका काफी हद तक कमज़ोर हो जाती है। इससे उन एजेंसियों की शक्ति भी सीमित हो गई है जो पहले कृषि रसायनों की सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभाव की जांच करती थीं। इस बदलाव को अमेज़न क्षेत्र की जैवविविधता और वहां निवास करने वाली आदिवासी जनजातियों के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ब्राज़ील के अमेज़न क्षेत्र में कृषि रसायनों का उपयोग नाटकीय रूप से बढ़ा है। पिछले दशक में फंगीसाइड मैनकोज़ेब और हर्बीसाइड अट्राज़िन के उपयोग में क्रमशः 5600% और 575% की वृद्धि हुई है।
इस विधेयक के आलोचक यह भी बताते हैं कि इस कानून के तहत ऐसे रसायनों का उपयोग संभव हो जाएगा जो कैंसर, बांझपन और गर्भपात जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकते हैं। शोधकर्ताओं को, जो इस खतरनाक सच्चाई को उजागर करने की कोशिश करते हैं, भय और धमकियों का सामना करना पड़ता है। ताकि वे कृषि व्यवसाय और रासायनिक उद्योगों के प्रभाव को उजागर न कर पाएं। विधेयक पर यह भी आरोप है कि इसने ब्राज़ील में पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा के उपायों में एक बड़ी कमी लाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक के पारित होने में कृषि व्यवसाय और रासायनिक उद्योगों का बड़ा हाथ है। उनके प्रभाव के कारण नीतियों में ऐसे परिवर्तन किए गए हैं जो पर्यावरणीय और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज से हानिकारक हैं। कृषि व्यवसाय का लक्ष्य है रसायनों का उपयोग बढ़ाना ताकि फसल उत्पादन में वृद्धि हो, लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणाम बहुत ही गंभीर हो सकते हैं।
अमेज़न क्षेत्र में निवास करने वाली आदिवासी जनजातियों के लिए यह विधेयक घातक सिद्ध हो सकता है। इन जनजातियों का जीवन सीधे तौर पर जंगल और उसकी जैवविविधता पर निर्भर करता है। कृषि रसायनों का अंधाधुंध उपयोग इन क्षेत्रों के लिए विनाशकारी हो सकता है, जिससे न केवल जैवविविधता बल्कि लोगों के जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पर्यावरण और स्वास्थ्य विशेषज्ञ जमीनी काम और जागरूकता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। न केवल विधेयक के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है बल्कि सतत और जैविक कृषि पद्धतियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और पर्यावरण संगठनों को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए और ब्राज़ील पर दबाव डालना चाहिए कि वह सतत कृषि और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए।
संपूर्ण मुद्दा यह है कि अगर ब्राज़ील में कृषि रसायनों के उपयोग को नियित्रण में नहीं लाया गया तो इसके परिणाम न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं।
समय की मांग है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर पुनर्विचार करे और ऐसे उपाय अपनाए जो दीर्घकालिक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य संरक्षण के अनुरूप हों।
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