आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2023-24 के लिए आयकर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तारीख को 7 दिन बढ़ाकर 7 अक्टूबर 2024 करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय तकनीकी कठिनाइयों और पोर्टल पर अत्यधिक बोझ के कारण लिया गया है, जो करदाताओं को समय पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने में अड़चनें पैदा कर रहे थे।
करदाताओं को पोर्टल पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने में परेशानी हो रही थी। आयकर विभाग के मुताबिक, कई करदाताओं ने तकनीकी त्रुटियों और पोर्टल की धीमी गति की शिकायत की थी, जिससे वे समय सीमा तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पा रहे थे।
इस निर्णय के संबंध में जारी एक सर्कुलर में आयकर विभाग ने प्रकट किया कि करदाताओं और अन्य संबंधित पक्षों के सामने आ रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। Moore Singhi के कार्यपालक निदेशक, रजत मोहन ने बताया कि पोर्टल पर अत्यधिक भार और तकनीकी मुद्दों के चलते आयकर विभाग ने समय सीमा बढ़ाने का फैसला किया।
करदाताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। समय सीमा बढ़ने से उन्हें अपनी ऑडिट रिपोर्ट को सही तरीके से तैयार करने और दाखिल करने का अवसर मिलेगा, जिससे त्रुटियों और दंड का जोखिम कम होगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को ऐसी स्थितियों के लिए अपने सिस्टम को बेहतर बनाना चाहिए या फिर फाइलिंग की समय सीमा को चरणबद्ध तरीके से निर्धारित करना चाहिए, ताकि अंत समय में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
आयकर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की समय सीमा के अंतिम दिनों में पोर्टल पर अत्यधिक दबाव आ जाता है। एकत्रित डेटा के अनुसार, अधिकांश करदाता और टैक्स कंसल्टेंट्स अंतिम दिनों में अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हैं। जिससे पोर्टल पर बहुत अधिक लोड बढ़ जाता है और इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग के दौरान असुविधाएं होती हैं।
इस स्थिति के बारे में रजत मोहन ने कहा कि समय सीमा के आखिरी दिनों में फाइलिंग का बोझ काफी बढ़ जाता है और तकनीकी मुद्दों के कारण पूरी प्रणाली में अव्यवस्था पैदा हो जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को या तो सिस्टम को अपग्रेड करना चाहिए ताकि यह भारी ट्रैफिक को संभाल सके या फिर फाइलिंग की समय सीमा को चरणबद्ध तरीके से निर्धारित करना चाहिए।
समय सीमा बढ़ाने से करदाताओं को राहत मिली है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अपने पोर्टल को अधिक मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए ठोस उपाय करने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटा जा सके। ध्यान देने योग्य है कि ऐसी परिस्थितियाँ करदाताओं में तनाव और अनावश्यक भागदौड़ पैदा करती हैं। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि करदाता समय पर और बगैर किसी जल्दबाजी के अपनी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल कर सकें।
समय सीमा विस्तार के इस निर्णय से करदाताओं को राहत की सांस मिली है, लेकिन यह जरूरी है कि आगे चलकर आयकर विभाग ऐसी रणनीतियाँ अपनाए जिससे तकनीकी समस्याओं को काबू में किया जा सके। यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि करदाता अपनी फाइलिंग समय पर और बिना किसी अड़चन के पूरा कर सकें। इससे न केवल करदाताओं का विश्वास बढ़ेगा बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और प्रभावशीलता भी आएगी।
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