मराठी और हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले अतुल परचुरे का 57 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 14 अक्टूबर 2024 को लीवर कैंसर से लड़ाई लड़ते हुए उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके अभिनय ने न केवल देश भर में बल्कि विदेशों में भी कई प्रशंसा पाई। इस दुखद समय में उनका परिवार और उनकी पत्नी सोनिया परचुरे, जो उनके संघर्ष में हमेशा खड़ी रहीं, अब अकेले रह गई हैं।
सोनिया परचुरे, जो अपनी कला के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने एक अभिनेत्री और नृत्यांगना के रूप में शुरूआत की। मराठी नाटकों और फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन करने के बाद, उन्होंने अपने करियर को एक नई दिशा दी। हालांकि उन्होंने अभिनय से दूरी बनाई, पर उन्होंने कला के प्रति अपने प्यार को कथक नृत्य में व्यक्त किया। उन्होंने खुद को 'गुरु ऑफ शरायु नृत्य कला मंदिर' नृत्य अकादमी स्थापन किया, जहां उन्होंने कई छात्रों को प्रशिक्षण दिया।
सोनिया की शादी के बाद, उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। वे एक समृद्ध परिवार से आती थीं और शादी के बाद उन्हें एक साधारण जीवन शैली अपनानी पड़ी। एक दो कमरे के फ्लैट में रहना, उनके लिए कुछ नया था, लेकिन उन्होंने इसे कभी भी शिकायत के लायक नहीं समझा। अतुल हमेशा उनके सौहार्द और समर्पण के लिए उनकी तारीफ करते थे। उनके परिवार की सफलता में सोनिया का योगदान अतुल ने सदैव मान्यता दी।
जीवन की चुनौतियों का सामना करना सरल नहीं होता है, खासकर तब जब आप अपने परिवार के लिए अपने व्यक्तिगत सपनों को छोड़ दें। सोनिया परचुरे ने अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को कुशलता से संभाला। उन्होंने न केवल अपने परिवार का ख्याल रखा, बल्कि अपने कला करियर को भी जारी रखा। यहां तक की जब अतुल को चार महीने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब भी सोनिया ने परिवार और करियर के बीच संतुलन बनाए रखा।
उनकी बेटी, सखील परचुरे, जो एक फैशन स्टाइलिस्ट हैं, उन्होंने अपने माता-पिता से प्रेरणा ली है। 'पेपेर्मींट बॉम्बे' और 'द आर्ट्स स्पेस मुंबई' जैसे व्यवसायों की मालिक सखील अपने माता-पिता के सपनों और उनकी मेहनत का औचित्य समझती हैं। सोनिया के सहारे, इस परिवार ने उद्यमिता और कला के क्षेत्र में अपना नाम कमाया।
परिवार ने वर्तमान समय में सार्वजनिक जीवन से दूरी बनाए रखने का निर्णय किया है। जीवन के इस कठिन समय में, वे गोपनीयता और शांति चाहते हैं। उन्होंने सभी शुभचिंतकों से अनुरोध किया है कि वे इस कठिनाई के समय को समझें और उनके निजी समय का सम्मान करें। इन सभी दबावों के बावजूद, सोनिया ने हर चुनौती का सामना साहस के साथ किया है। उनकी कहानी एक ऐसी महिला की है जिसने हर भूमिका में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया।
टिप्पणियां भेजें