अंधागन समीक्षा: प्रमथस के यादगार प्रदर्शन वह तमिल रीमेक की अनूठी प्रस्तुति

अंधागन फिल्म समीक्षा: प्रमथस के यादगार प्रदर्शन और थ्रिलिंग कथानक की कहानी

तमिल फिल्म 'अंधागन' ने सिनेमाघरों में बहुत ही जोरदार शुरुआत की है। इस फिल्म का निर्देशन थियागराजन ने किया है और यह सिनेमा प्रिय दर्शकों के लिए एक यादगार अनुभव की तरह है। यह फिल्म हिंदी फिल्म 'अंधाधुन' का तमिल रीमेक है। आईए जानते हैं कि यह फिल्म अपने ओरिजिनल कहानी से कितनी मेल खाती है और इसमें क्या नया देखने को मिलता है।

फिल्म की कहानी मुख्य रूप से प्रमथस पर केंद्रित है जो एक प्रतिभावान पियानोवादक है। प्रमथस का किरदार एक ऐसे युवा का है जो विसुअल इम्पेयरमेंटियन का दिखावा करता है और एक कैफे में काम करता है। प्रिया आनंद ने संजीवनी नामक कैफे की मालिक की भूमिका निभाई है, उसे प्रमथस की नेत्रहीनता का पता नहीं है और उसे कैफे में पियानो बजाने के लिए रख लेती है।

जटिल और थ्रिलिंग कहानी

कहानी का असली मोड़ तब आता है जब प्रमथस एक हत्या का गवाह बनता है। काटिक, एक पुराने अभिनेता, और उसकी पत्नी सिमरन की रिश्तों के बीच होता है। सिमरन अपने प्रेमी समुथिराकनी के साथ मिलकर हत्या करती है और प्रमथस ये सब देख लेता है, हालांकि वह दिखावे के अनुसार नेत्रहीन है। प्रमथस का जीवन इस घटना के बाद पूरी तरह से बदल जाता है और उसकी जटिलता को बढ़ाता है।

कसावट की आदर्श मिसाल: निर्देशक थियागराजन की कुशलता

थियागराजन ने फिल्म की कड़ी और तंग पटकथा को बड़ी खूबसूरती से संजोया है। कहानी में बार-बार अवरोधक मोड़ आते हैं जो दर्शकों को सीट से बंधे रखते हैं। प्रमथस ने फिल्म में उच्चतम स्तर का प्रदर्शन किया है, विशेष रूप से उनका नकली और सजीव भाव। दर्शकों को उनके अभिनय में एक नई परिपक्वता नजर आती है जो उनकी पुरानी फिल्मों में शायद ही देखने को मिली हो। यह वास्तव में प्रमथस की एक सफल वापसी मानी जा सकती है।

सहायक कलाकारों की भूमिका और हास्य तत्वों का समावेश

सिमरन और प्रिया आनंद ने भी अपने-अपने किरदारों में समर्पण और निष्ठा दिखाई है। विशेष रूप से सिमरन अपनी भूमिका में जान डालती हैं और उनके अभिनय ने सभी का दिल जीत लिया। फिल्म में उर्वशी और योगी बाबू हास्य तत्व जोड़ते हैं जो फिल्म की गंभीरता को हल्का करते हैं और इसे छिद्रपूर्ण बनाते हैं। दोनों के प्रदर्शन ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है।

कहानी की गति और तकनीकी पहलू

हालांकि फिल्म कुछ जगहों पर धीमी गति से चलती है, खासकर इंटरवल के बाद, लेकिन इसका प्रभाव पूरे फिल्म पर नहीं पड़ता। संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के रोमांच को और बढ़ाते हैं। शूटिंग लोकेशन्स और कैमरा वर्क भी तारीफ के काबिल हैं।

समग्र विचार और समीक्षा का निष्कर्ष

'अंधागन' एक उम्दा थ्रिलर है जो गुणात्मक और मनोरंजनपूर्ण है। जिन दर्शकों ने 'अंधाधुन' नहीं देखी है, वे 'अंधागन' से भी उतना ही रोमांच महसूस करेंगे। हां, यह हिंदी ओरिजिनल का रीमेक है लेकिन थियागराजन ने इसे एक अलग स्तर पर ले जाकर इसे एक खास तमिल मुहावरे में बदल दिया है। प्रमथस के दमदार अभिनय ने इसे क्षितिज पर स्थान दिलाया है और यह फिल्म तमिल फिल्म जगत में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। कुल मिलाकर, 'अंधागन' एक एंगेजिंग और थ्रिलिंग फिल्म है जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।

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