5 अगस्त, 2024 का दिन GIFT निफ्टी वायदा के लिए कठिन साबित हुआ, जब यह 24,380 अंकों पर 333 अंकों की गिरावट के साथ खुला। इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी निवेशकों द्वारा भारी मात्रा में बिकवाली करना था। निवेशकों ने 3,310 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई। इसके परिणामस्वरूप, कई प्रमुख कंपनियां जैसे भारत सीमेन्ट्स, ग्रैन्यूल्स, बिर्लासॉफ्ट, इंडियामार्ट, आरबीएल बैंक, जीएनएफसी और चंबल फर्टिलाइजर्स को एफएंडओ बैन सूची में डाल दिया गया।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के नगराज शेट्टी के अनुसार, निफ्टी की अल्पावधि का रुख नकारात्मक है और आने वाले सत्रों में इसमें और कमजोरी की संभावना है। उन्होंने कहा कि निफ्टी 24,600-24,500 के स्तर तक गिर सकता है, जहाँ से किसी तेजी की उम्मीद की जा सकती है। तात्कालिक रेजिस्टेंस 24,900 के स्तर पर है। इस प्रकार, निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है और निवेश करने से पहले सोचने की आवश्यकता होगी।
भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी गिरावट देखी गई। S&P 500 वायदा में 1.4% की गिरावट, हांग सेंग वायदा में 0.4% की गिरावट, जापान का टॉपिक्स सूचकांक 7.6% की गिरावट, ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 2.5% की गिरावट और यूरो स्टॉक्स 50 वायदा 2.8% की गिरावट के साथ बंद हुआ।
तेल की कीमतें भी नीचे आईं। ब्रेंट क्रूड वायदा 4 सेंट की गिरावट के साथ 76.77 डॉलर प्रति बैरल पर और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 13 सेंट की गिरावट के साथ 73.39 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ।
भारत VIX, जो बाजार के डर का एक मापक है, 10.75% बढ़कर 14.32 अंकों के स्तर पर चला गया। यह बाजार की अस्थिरता और निवेशकों के बीच चिंता का प्रतीक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति भविष्य में भी जारी रह सकती है, खासकर जबतक विदेशी निवेशक अपनी बिकवाली जारी रखते हैं। इसलिए, निवेशकों को मौजूदा परिस्थितियों में सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिकी श्रम डेटा और चीनी अर्थव्यवस्था में कमजोरी ने वैश्विक बाजारों में बिकवाली को प्रेरित किया है। इससे स्टॉक मार्केट, तेल और हाई-यील्डिंग मुद्राओं में गिरावट देखी गई और निवेशक सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं।
उपाय के रूप में, निवेशकों को विशेषज्ञों की सलाह का पालन करना चाहिए और बाजार में किसी भी कदम से पहले विचारशील निर्णय लेने चाहिए।
व्यापारियों के लिए, आज की स्थिति में छोटे समयावधि की रणनीति अपनाना लाभकारी साबित हो सकता है। इसका मतलब है कि कम जोखिम का प्रबंधन और बाजार में छोटे कदम उठाना। उच्च अस्थिरता के समय में, स्थिति को समझना और अपनी रणनीतियों को तदनुसार बदलना महत्वपूर्ण है।
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